मानसिक बीमार लड़की को भाई (बीच में) को सौंपते संस्था के सदस्य |
खिजरसराय। मुंबई के रायगढ़ में श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन जो एक युवा समाजसेवी वर्ग ने मंद बुद्धि, मानसिक बीमार जैसे सड़को पर घूमने वाले लोगों को उनके परिजनों से मिलवाने का मिशन बनाया है। अब तक कई ऐसे लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से उनके परिजनों को खोज कर उनके घर भिजवा चुके हैं।
रविवार को फिर इस समाजसेवी वर्ग ने गया जिले के खिजरसराय थाना क्षेत्र अंतर्गत जमुआवां गांव के रहने वाले मानसिक बीमार सोनी, जो 5 साल पहले अपने घर से निकले और रास्ता भटक कर परिजनों से बिछड़ गए थे और मुंबई के रायगढ़ की सड़क पर घूमते देख सोशल मीडिया के माध्यम से इनके परिजनों को खोज निकाला। वजह से 5 सालों से अपने परिवार से दूर रहने वाला मानसिक बीमार व्यक्ति की भाई अपने बहन को पाकर और बेटी अपने पिता को पाकर खुश हैं। सोनी, 5 साल पहले अपने घर से निकले और रास्ता भटक कर परिजनों से बिछड़ गए थे।
इसके बाद से ही सोनी विक्षिप्त की तरह शहर - शहर घूमते मुम्बई के रायगढ़ में पहुंच गई। जहां यह सड़को पर घूम कर अपनी जिंदगी गुजार रही थी। तभी एक दिन श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन के सदस्य डॉ नीलेश म्हात्रे की नजर इन पर पड़ गई जो विगत कई सालों से सड़कों पर लावारिस घूम रहे लोगों को खोज कर उन्हें उनके परिजनों के पास पहुचाने के काम को अपना मिशन बना लिया है।
डॉ म्हात्रे ने सोनी पर निगरानी करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से इसका फ़ोटो पोस्ट कर खोजना शुरू किया। अंततः डॉ म्हात्रे की मेहनत रंग लाई। डॉ म्हात्रे ने सोशल मीडिया के माध्यम से खिजरसराय के स्थानीय सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफार्म "खिजरसराय टाउन न्यूज" के संस्थापक गौरव कुमार सिंह से दूरभाष पर संपर्क किया और सोनी के बारे में बताई। जिसके बाद गौरव कुमार सिंह ने अपने मित्र रजनीश सिंह दांगी के सहयोग से लड़की के परिवार से पता कर डॉ म्हात्रे को जानकारी दी। लड़की के परिवार वालों ने मुंबई से लाने में असमर्थता जताई। जिसके बाद गौरव कुमार सिंह के कहने पर श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन की एम्बुलेंस मुंबई से बिहार पहुंची। सोनी के घर वालों ने डॉ म्हात्रे से संपर्क किया। बिहार राज्य के गया जिला के खिजरसराय के रहने वाले सोनी के भाई वसंत ने पटना पहुंच कर बहन मिल जाने के बाद खुश होकर सोनी को अपने साथ घर लेकर चले गए।
अब तक हज़ारों लोगों को परिवार से मिलवा चुकी है संस्था
युवा समाजसेवी डॉ म्हात्रे का कहना है कि इस संस्था के संस्थापक डॉ भरत वट्वाणी है, उन्हें मैग्नेसे अवार्ड मिला है। सन 1988 ई० में संस्था की शुरुआत की थी। अब तक हम 7367 ऐसे लोगों को खोज कर उनके परिवार को सौप चुके है। डॉ म्हात्रे का यह भी कहना है कि हम यह काम इसलिए करते हैं कि हमलोगों के पास छत है तो गर्मी, सर्दी और बरसात से हम लोगों को एक छत मिल जाता है और ये लोग खुले आसमान के नीचे अपना जीवन बिताते है तो मेरे एक छोटे प्रयास से इनको भी अपना आशियाना मिल जाय अपना घर मिल जाये तो ये अपने परिवार के साथ रहेंगे।
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