दीपक कुमार, भारतीय सेना के जवान (फाइल फोटो) |
KTN डेस्क। खिजरसराय टाउन न्यूज पर पहली बार साहित्य से जुड़ी विषय पर यह विशेष सीरीज शुरू की जा रही है। साहित्य के इस सीरीज में नीमचक बथानी अनुमंडल के साहित्यकारों/रचनाकारों को एक डिजिटल प्लेटफार्म प्रदान करने की शुरुआत भर है। आप भी अगर कविता/कहानी/लेख आदि लिखते हैं तो यह सीरीज आपके लिए है आप सीधे हमारी टीम को अपनी रचना भेजिए अपने नाम, पता व अपनी फोटो के साथ।
आज इस साहित्य सीरीज में पहली पोस्ट में पढ़िए भारतीय सेना के जवान द्वारा भेजी गई यह रचना।
मेरा गांव
यहाँ सुंदर उपवन, जल और धरा, स्वच्छंद हवा सुंदर गगन है।यहा महादेव का पावन मन्दिर, ग्राम एकता का प्रतीक, माॅ जगदम्बे का सुंदर भवन है।।गुजर बसर करता आया हूँ, जन्नत वाली गाॅव में ।खेल कूदकर बड़ा हुआ, बरगद पीपल के छांव में।।पीपल की शीतल छाया में, लोग बैठते हरदम दस।कोई खेल, मजाक हो या फिर गप्पें ठहाकें, यही पर अब मिलते हैं बस।।हर ग्रामीण यहाँ केवट है, अपने जीवन के नाव के लिए।सौभाग्य मेरा जो कुछ कर पाया, गर अपने प्यारे इस गाँव के लिए।।पैसा और रोजगार की खातिर, गाँव छोड़ना पड़ता है ।रोज इन्हीं जज्बातों से, दिल को लड़ना पड़ता है।।दिल में बसता मेरा गांव है, चिर दिखा सकता हूँ मैं।हनुमान नहीें बस दीपक हूँ, लिख कर ही बता सकता हूँ मैं।।क्या पता बताऊ अपने गांव की , नहीं ये इतना दुर है।गया जिला के मोक्ष भूमि पर , आदर्श ग्राम इसमाईलपुर है।।यह जनम भूमि है, जननी है मेरी, किसी परिचय का मोहताज नहीं।बस इतना कहना ही काफी है की माॅ जगदम्बे हैं मेरे गांव में।।
- दीपक कुमार (दीपू )
(सैनिक, भारतीय सेना )
इसमाईलपुर, खिजरसराय, गया (बिहार)
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